Thursday, April 18, 2013

UTTARAKHAND CENSUS 2011


उत्तराखण्ड जनगणना -2011

  कुल जनसंख्या

उत्तराखण्ड की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या का 0.84 प्रतिशत है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तराखण्ड देश के कुल क्षेत्रफल का 1.69 प्रतिशत है।
साक्षरता की दृष्टि से उत्तराखण्ड 17 वें स्थान पर है।
जबकि जनसंख्या की दृष्टि से भारत के राज्यों में इसका 20 वॉं स्थान है।
दशकीय जनसंख्या वृद्धि (19.17 प्रतिशत) की दृष्टि से देश में 16 वां स्थान है। राष्ट्रीय औसत-17.64 प्रतिशत

सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला  - हरिद्धार
सबसे कम जनसंख्श वाला जिला - रूद्रप्रयाग
10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले राज्य में केवल तीन जिलें - हरिद्धार, देहरादून , उद्यमसिंह नगर
0-6 आयु वर्ग के कुल शिशुओं का लिंगानुपात - 908 है।
राज्य में सर्वाधिक दशकीय वृद्वि दर (27.45) 1971 से 1981 के दौरान था।
अल्मोडा(-1.73 प्रतिशत ) व पौढ़ी गढ़वाल(-1.51प्रतिशत ) शून्य से नीचे रही है
सर्वाधिक दशकीय जनसंख्या वृद्वि दर में गिरावट टिहरी गड़वाल में दर्ज की गई है। हरिद्वार 33.16 प्रतिशत व देहरादून 32.48 प्रतिशतें दशकीय जनसंख्या वृद्वि
दर में वृद्वि हुयी है।


 जनघनत्व -

उत्तराखण्ड का जनघनत्व - 189 वर्ष 2001 में 159
सर्वाधिक जनघनत्व वाला जिला -हरिद्धार
सबसे कम जनघनत्व वाला जिला -उत्तरकाशी

 लिंगानुपात-

लिंगानुपात की दृष्टि से देश में उत्तराखण्ड 13वें स्थान पर है।
 2001 में लिंगानुपात-962
2011 में लिंगानुपात-963
लिंगानुपात का राष्ट्रीय औसत-940

 साक्षरता-

2011 में उत्तराखण्ड की साक्षरता दर- 79.63 प्रतिशत
साक्षरता दर का राष्ट्रीय औसत-74.04 प्रतिशत

                                          उत्तराखण्ड अनुसूचित जाति एवं जनजातियां
राज्य के सर्वाधिक और सबसे कम अनूसूचित जाति वाले जिले क्रमशः हरिद्वार और चम्पावत हैं।
राज्य के सर्वाधिक और सबसे कम अनूसुचित जाति प्रतिशत वाले जिले क्रमशः बागेश्वर एवं उधमसिंह नगर हैं।
राज्य के सर्वाधिक और सबसे कम अनुसूचित जाति वाले जिलं क्रमशः ऊधमसिंह नगर एवं रूद्रप्रयाग है।
राज्य में अनूसूचित जनजातियों के सर्वाधिक और सबसे कम प्रतिशत वाले जिले क्रमशः ऊधमसिंह नगर एवं रूद्रप्रयाग हैं।
राज्य में सर्वाधिक और सबसे कम अनूसुचिज जनजातियां जौनसारी एवं राजी हैं।
अनुसूचित जनजातियों के लिए 2 सीटें अनूसूचित जनजातियां के लिए आरक्षित है।
उत्तराखण्ड सरकार ने जुलाई 2001 में एक शासनादेश द्वारा राजकीय सेवाओं,शिक्षण संस्थाओं, सार्वजनिक उद्यमों ,निगमों एवं
स्वायन्तशासी संस्थाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए 4 प्रतिशत के आरक्षण की व्यवस्थाओं की व्यवस्था की है।
राज्य की कुल जनसंख्या में 17.87 प्रतिशत है।
राज्य की कुल जनसंख्या में 3.02 प्रतिशत है।
राज्य की कुल 5 अनुसूचित जनजातियां घोषित की गई हैं।
राज्य में सर्वाधिक और सबसे कम अनूसुचिज जनजातियां जौनसारी एवं राजी हैं।

प्रमुख अनु. जनजातियां

                        जौनसारी
जौनसारी राज्य का सबसे बड़ा जनजातिय समुदाय होने के साथ गढ़वाल का भी सबसे बड़ा समुदाय हैं।
इस क्षेत्र के अन्तर्गत देहरादून का बाबर क्षेत्र (चकराता, कालसी, त्यूनी), लाखामंडल, आदि क्षेत्र ,टिहरी का जौनपुर
एवं उत्तरकाशी का परग नेकाना क्षेत्र आता है। हनोल इनका प्रमुख तीर्थ स्थल है।

                         थारू
ऊधमसिंह नगर जिले में मुख्य रूप से खटीमा, किच्छाा,नानकमत्ता, और सितारगंज के 144 गांवों
में निवास करने वाले थारू उत्तराखण्ड के दूसरे सबसे बड़े समुदाय हैं। सामन्यतः थारूओं को
को किरात वंश का माना जाता है। थार का शाब्दिक अर्थ मदिरा है। और थारू का अर्थ मदिरापान
करने वाला है।
                    
                        भोटिया
भोटिया एक अर्धघूमंतू जनजाति है यह मध्य हिमालय की सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति है
राज्य के तिब्बत से सटे सीमावर्ती भाग को भोट प्रदेश कहा जाता है। लदाख में इन्हें भोटा किन्नोर
में इन्हें भोट तथा भूटान ने भूटानी कहा जाता है। भोटिया स्वयं को खस या राजपूत मानते हैं

                             बोक्सा

बोक्सा मुख्यतः उत्तराखण्ड के तराई बावर क्षेत्र में उघमसिंह नगर के बाजपुर,गदरपुर, एवं काशीपुर , नैनीताल के रामनगर
पौढी गढ़वाल के दुगडा एवं देहरादून के विकासनगर एवं सहसपुर विकासखण्ड के लगभग 173 ग्रामों में पाए जाते हैं।

                         राजी

राजी मुख्यतः पिथौरागड़ जनपद के धारचूला, कनालीछीना, एवं डीडीहाट खण्डों के 7 गांवों के अलावा चम्पावत के एक गांव
में निवास करते हैं।

No comments:

Post a Comment