religious tourism of uttarakhand


                                                      उत्तराखण्ड की प्रमुख यात्राएं


1 कैलास मानसरोवर यात्रा
2नन्दा राजजात यात्रा
3 हिल जात्रा
4 खतलिंग-रूद्रा देवी यात्रा
5 द्यवोरा यात्रा
6 पंवाली कांठा-केदार यात्रा(टिहरी गड़वाल)
7 सहस्त्र ताल-महाश्र ताल यात्रा
8 वारूणी यात्रा(उत्तरकाशी)


कैलास मानसरोवर यात्रा-इस यात्रा का आयोजन भारतीय विदेश मंत्रालय, कुमाउ
मण्डल विकास निगम तथा भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सहयोग से होता है।
यह स्थल चीन के कब्जे में है इसलिए इस यात्रा के लिए वीजा जारी कराना होता है।
यह यात्रा दिल्ली से प्रारम्भ होकर मुरादाबाद, रामपुर, हल्द्धानी, काठगोदाम, भवाली होते
हुए अल्मोड़ा पहुचकर कौसानी, बागेश्वर,चौकोडी,डीडीहाट होते हुए धारचूला पहुंचती है।
धारचूला से लगभग पैदल यात्रा करते हुए तवाघाट , मांग्टी ,गुंजी,नवीढांग,लिपुलेख दर्रा
होते हुए तिब्बत में प्रवेश करती है। इस यात्रा की की समयावधि 40 दिन की होती है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा में धारचूला के बाद 160 किमी पैदल चलना पड़ता है।

नन्दाराजजात यात्रा-उत्तराखण्ड की यह यात्रा गढवाल व कुमायूं की सांस्कृतिक एकता
का प्रतीक है।यह विश्व की की अनौखी पदयात्रा है,जिसमें चमोली के कांसुवा गांव, के पास
स्थित नौटी के नन्दा देवी मंदिर से होमकुण्ड तक की 280 किमी की यात्रा 19-20 दिन में
पूरी की जाती है।

हिलजात्रा-पिथौरागढ़ के सोरोघाटी का हिलजात्रा उत्सव मुख्यतः कृषकों तथा पशुपालकों का
उत्सव है। हिलजात्रा का सम्पूर्ण अर्थ होता है दददली जमीन । इस पर्व को वर्षा में ही आयोजित
किया जाता है।

द्यवोरा यात्रा-पिथौरागढ़ के कुछ भागों में मनाई जाने वाली इस देव यात्रा में ग्राम वासी एक डेढ़
साल विभीन्न मंदिरो, तीर्थों में यात्रा करते हुए बिताते हैं।

खतलिंग-रूद्रा देवी यात्रा-उत्तरांचल के ‘पांचवा धाम’ यात्रा के नाम से प्रचलित यह यात्रा टिहरी
जनपद के सीमान्त उच्च हिमालयी क्षेत्र में हर वर्ष सितम्बर माह में होती है।

सहस्त्र ताल महाश्र ताल यात्रा- यह यात्रा टिहरी से शुरू होकर बूढ़ाकेदार से महाश्र ताल
से घूत्तू से उत्तरकाशी के सहस्त्रताल समूह तक जाती है।

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