राज्य के प्रमुख उद्योग
चीनी उद्योग- राज्य में चीनी की 10 मिले (4 सहकारी, 2 सार्वजनिक तथा 4 निजी) हैं
सीमेन्ट उद्योग-स्टेडिया कैमिकल्स लिमीटेड श्रृषिकेश(देहरादून)
रानीपोखरी सीमेन्ट फैक्ट्रिी, रानीपोखरी(देहरादून)
कुअनवाला सीमेन्ट फैक्ट्री, गुनियालगॉव(देहरादून)
मारबल उद्योग- राज्य के देहरादून में मारबल उद्योग विकसित अवस्था में है।
कागज उद्योग-राज्य में कागज उद्योग विकसित अवस्था में है। अधिकांश कागज मिले
नैनीताल तथा ऊधमसिंह नगर में है। इसके अलावा हरिद्वार तथा देहरादून में कागज की मिलें हैं
एशिया का सबसे बड़ा कागज उद्योग सेन्चुरी पेपर एण्ड पल्प बोर्ड, लालकुआं नैनीताल में है
हस्तशिल्प, लधु एवं कुटीर उद्योग
रिंगाल हस्तशिल्प- रिंगाल एक प्रकार की पहाड़ी नरकट धास है। बांस एवं रिगाल से धरेलू उपयोग
के डाले ,कंडी, सूप ,डोकरी, मोस्ता बनाए जाते है
ऊनी वस्त्र उद्योग- राज्य में ऊनी वस्त्र गृह उद्योग नैनीताल , चम्पावत , अल्मोडा उत्तरकाशी,
आदी जिलों में स्थापित हैं। पौढ़ी व अल्मोड़ा की ऊनी साले प्रसिद्व हैं।
कालीन उद्योग-पिथोरागढ़ के धारचूला और मुनस्यारी तथा चमोली के कुछ क्षेत्रों में भेड़ों से ऊन
से कालीन, कम्बल, चुटका, पश्मीना, दन, थुलमा, पंखी आदि बनाए जाते हैं
चर्म शिल्प उधोग-राज्य के चर्म व्यवसायी से जुड़े लोगों को बाडई या शारकी कहा जाता है।
लोहाधाट, जोहारी, नाचनी,मिलम, आदि स्थान चर्म उद्योग के लिए प्रसिद्व हैं
कत्था उद्योग-राज्य के नैनीताल जिले के हल्द्वानी में कत्था बनाने के कार्य कियें जाते हैं
बेंत के फर्नीचर-देहरादून व नैनीताल में पहाड़ी धास से बनतें हैं।
सरकार द्वारा लघु एवं कुटीर उद्योग के विकास हेतु प्रयास
राज्य के शिल्प उत्पादों का विपणन हेतु एक संध का गठन किया गया है। शिल्प उत्पादों का
दूसरे राज्यों में विपणन हिमाद्री बांड नेम से किया जाता है
रेशम सहकारी संध, प्रेमनगर(देहरादून) द्वारा रेशम के कीड़ों को पालने तथा कोकून उत्पन्न करने
का प्रशिक्षण दिया जाता है।
देहरादून में अक्टूबर 2007 में सिल्क पार्क का निर्माण शुरू हुआ
हस्तशिल्प एवं हथकरथा के विकास हेतु काशीपुर में क्राप्ट डिजाइन केंद्र की स्थापना की गई।
देहरादून में लघु उद्योग विकास बैंक की स्थापना की गई।
हल्द्वानी में लघु उद्योग सेवा संस्थान की स्थापना की गई।
सरकार द्वारा चलाई गई कल्याणकारी योजनाए
जननी सुरक्षा योजना
वन्देमातरम योजना
कस्तूरबागांधी बालिका विधालय योजना
राष्ट्रीय पोषाहार मिशन योजना
किशोरी शक्ति योजना
स्वशक्ति योजना
स्वाधार
स्वयंसिद्वा योजना
महिला कम्पोनेन्ट योजना
स्वालम्बन कार्यक्रम योजना
समेकित बाल विकास कार्यक्रम
बालिका समृद्वि योजना
नन्दादेवी कन्या धन योजना
गौरा देवी कन्याधन योजना
मोनाल परियोजना
प्रधानमंत्री रोजगार योजना
उत्तराखंड प्रधानमंत्री रोजगार योजना प्लस
आजिविका योजना
गामीण संचार सेवक योजना
वीर चन्द्र सिंह गडवाली पर्यटन स्वरोजगार योजना
उत्तरांचल सार्वभौमिक रोजगार योजगार योजना
ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम
विधायक निधी 248
स्कूल चलो अभियान
विशेष छात्रवृत्ति योजना
तेजस्वी छात्रवृत्ति योजना
राजीव गांधी नवोदय विधालय
आरोही योजना
श्यामा प्रसाद मुखर्जी अभिनव वि.
शिक्षा बंधु योजना
मिड-डे-मील योजना
कस्तूरबा गांधी आवा. वा. वि. योजना
चीनी उद्योग- राज्य में चीनी की 10 मिले (4 सहकारी, 2 सार्वजनिक तथा 4 निजी) हैं
सीमेन्ट उद्योग-स्टेडिया कैमिकल्स लिमीटेड श्रृषिकेश(देहरादून)
रानीपोखरी सीमेन्ट फैक्ट्रिी, रानीपोखरी(देहरादून)
कुअनवाला सीमेन्ट फैक्ट्री, गुनियालगॉव(देहरादून)
मारबल उद्योग- राज्य के देहरादून में मारबल उद्योग विकसित अवस्था में है।
कागज उद्योग-राज्य में कागज उद्योग विकसित अवस्था में है। अधिकांश कागज मिले
नैनीताल तथा ऊधमसिंह नगर में है। इसके अलावा हरिद्वार तथा देहरादून में कागज की मिलें हैं
एशिया का सबसे बड़ा कागज उद्योग सेन्चुरी पेपर एण्ड पल्प बोर्ड, लालकुआं नैनीताल में है
हस्तशिल्प, लधु एवं कुटीर उद्योग
रिंगाल हस्तशिल्प- रिंगाल एक प्रकार की पहाड़ी नरकट धास है। बांस एवं रिगाल से धरेलू उपयोग
के डाले ,कंडी, सूप ,डोकरी, मोस्ता बनाए जाते है
ऊनी वस्त्र उद्योग- राज्य में ऊनी वस्त्र गृह उद्योग नैनीताल , चम्पावत , अल्मोडा उत्तरकाशी,
आदी जिलों में स्थापित हैं। पौढ़ी व अल्मोड़ा की ऊनी साले प्रसिद्व हैं।
कालीन उद्योग-पिथोरागढ़ के धारचूला और मुनस्यारी तथा चमोली के कुछ क्षेत्रों में भेड़ों से ऊन
से कालीन, कम्बल, चुटका, पश्मीना, दन, थुलमा, पंखी आदि बनाए जाते हैं
चर्म शिल्प उधोग-राज्य के चर्म व्यवसायी से जुड़े लोगों को बाडई या शारकी कहा जाता है।
लोहाधाट, जोहारी, नाचनी,मिलम, आदि स्थान चर्म उद्योग के लिए प्रसिद्व हैं
कत्था उद्योग-राज्य के नैनीताल जिले के हल्द्वानी में कत्था बनाने के कार्य कियें जाते हैं
बेंत के फर्नीचर-देहरादून व नैनीताल में पहाड़ी धास से बनतें हैं।
सरकार द्वारा लघु एवं कुटीर उद्योग के विकास हेतु प्रयास
राज्य के शिल्प उत्पादों का विपणन हेतु एक संध का गठन किया गया है। शिल्प उत्पादों का
दूसरे राज्यों में विपणन हिमाद्री बांड नेम से किया जाता है
रेशम सहकारी संध, प्रेमनगर(देहरादून) द्वारा रेशम के कीड़ों को पालने तथा कोकून उत्पन्न करने
का प्रशिक्षण दिया जाता है।
देहरादून में अक्टूबर 2007 में सिल्क पार्क का निर्माण शुरू हुआ
हस्तशिल्प एवं हथकरथा के विकास हेतु काशीपुर में क्राप्ट डिजाइन केंद्र की स्थापना की गई।
देहरादून में लघु उद्योग विकास बैंक की स्थापना की गई।
हल्द्वानी में लघु उद्योग सेवा संस्थान की स्थापना की गई।
सरकार द्वारा चलाई गई कल्याणकारी योजनाए
जननी सुरक्षा योजना
वन्देमातरम योजना
कस्तूरबागांधी बालिका विधालय योजना
राष्ट्रीय पोषाहार मिशन योजना
किशोरी शक्ति योजना
स्वशक्ति योजना
स्वाधार
स्वयंसिद्वा योजना
महिला कम्पोनेन्ट योजना
स्वालम्बन कार्यक्रम योजना
समेकित बाल विकास कार्यक्रम
बालिका समृद्वि योजना
नन्दादेवी कन्या धन योजना
गौरा देवी कन्याधन योजना
मोनाल परियोजना
प्रधानमंत्री रोजगार योजना
उत्तराखंड प्रधानमंत्री रोजगार योजना प्लस
आजिविका योजना
गामीण संचार सेवक योजना
वीर चन्द्र सिंह गडवाली पर्यटन स्वरोजगार योजना
उत्तरांचल सार्वभौमिक रोजगार योजगार योजना
ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम
विधायक निधी 248
स्कूल चलो अभियान
विशेष छात्रवृत्ति योजना
तेजस्वी छात्रवृत्ति योजना
राजीव गांधी नवोदय विधालय
आरोही योजना
श्यामा प्रसाद मुखर्जी अभिनव वि.
शिक्षा बंधु योजना
मिड-डे-मील योजना
कस्तूरबा गांधी आवा. वा. वि. योजना
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