उत्तराखण्डः उर्जा संसाधन
राज्य के गठन के बाद उत्तर प्रदेश सरकारसे उर्जा विभाग का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ
में लेते हुए उत्तराखण्ड विद्युत निगम का गठन किया गया। तथा फिर उत्पादन,पारेषण एवं वितरण
के लिए तीन अलग निगमों का गठन किया गया।
उत्तराखण्ड जलविघुत निगम लि.- 1 अप्रैल 2001 को गठित इस निगम के नियंत्रण में 20 से अधिक जल विघुत उत्पादन केंद्र हैं।
टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन-12 जुलाई 1988 को स्थापना व फरवरी 1989 में टिहरी जल विघुत परियोजना का निर्माण कार्य उ.प्रदेश सिंचाई
विभाग से लेकर इसे कार्पोरेशन को दे दिया गया
पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लि.-गठन 1 जून 2004 इस निगम का काम 132 केवी और उससे ज्यादा क्षमता की बिजली सप्लाई
के लिए नेटवर्क तैयार करना है।
उत्तराखण्ड पावर कॉरपोरेशन लिमीटेड-132 केवी से नीचे के सब स्टेशनों को नियंत्रण रखना इसका कार्य है।
उत्तराखण्ड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी-इस ऐजेसी की स्थापना पुर्ननवीनीकरण एवं वैकल्पिक उर्जा के स्त्रोतो के विकास हैतु की गई है।
उत्तराखण्ड विघुत नियामक आयोग-विद्युत दरों एवं व्यवसाय के नियमन हेतु बनाई गई है
पावरग्रीड कार्पोरेशन-इसकी स्थापना पावरग्रीड के संचालन हेतु किया गया है।
प्रमुख परियोजनाएं
1.ग्लोगी जल विघुत परियोजनाएं
2.टिहरी परियोजना
3.विष्णु प्रयाग जल विघुत परियोजना
4.घौलीगंगा फेज-1 परियोजना
5.मनेरी भाली परियोजना
6.श्रीनगर जल विधुत परियोजना
7.पाला मनेरी परियोजना
8.किशो बांध परियोजना
9.उत्यासू बांध परियोजना
10.लोहारीनाग पाला परियोजना
11.कोटलीभेल परियोजना
12.पंचेश्वर बांध परियोजना
राज्य के सबसे उंचे 5 बांध
1.कालागड रामगंगा नदी पर 126 मी
2.कोठार कोसी नदी पर 155 मी
3.किशो टौंस नदी पर 253 मी
4.टिहरी भागीरथी नदी पर 260 मी
5.लखवाड यमुना नदी पर 192 मी
रन ऑफ द रीवर तकनीक
वर्तमान में प्र्रायः इस प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक से नदियां प्राकृतिक मार्ग के बजाए सुरंग के जरिए अपना रास्ता तय करती हैं।
इस तकनीक के प्रयोग से पर्यावरणीय समस्याओं की कमी व विस्थापन की समस्या का भी हल हो जाता है।
विधुत के पसार हेतु उत्तराखण्ड सरकार द्वारा चलाई गई प्रमुख योजनाएं
1.राजीव गांधी ग्रामीण विधुतीकरण योजना
2.कुटीर ज्योति योजना
3.उर्जा पार्क
4.माक्रोहाइडिल परियोजनाएं
राज्य के गठन के बाद उत्तर प्रदेश सरकारसे उर्जा विभाग का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ
में लेते हुए उत्तराखण्ड विद्युत निगम का गठन किया गया। तथा फिर उत्पादन,पारेषण एवं वितरण
के लिए तीन अलग निगमों का गठन किया गया।
उत्तराखण्ड जलविघुत निगम लि.- 1 अप्रैल 2001 को गठित इस निगम के नियंत्रण में 20 से अधिक जल विघुत उत्पादन केंद्र हैं।
टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन-12 जुलाई 1988 को स्थापना व फरवरी 1989 में टिहरी जल विघुत परियोजना का निर्माण कार्य उ.प्रदेश सिंचाई
विभाग से लेकर इसे कार्पोरेशन को दे दिया गया
पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लि.-गठन 1 जून 2004 इस निगम का काम 132 केवी और उससे ज्यादा क्षमता की बिजली सप्लाई
के लिए नेटवर्क तैयार करना है।
उत्तराखण्ड पावर कॉरपोरेशन लिमीटेड-132 केवी से नीचे के सब स्टेशनों को नियंत्रण रखना इसका कार्य है।
उत्तराखण्ड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी-इस ऐजेसी की स्थापना पुर्ननवीनीकरण एवं वैकल्पिक उर्जा के स्त्रोतो के विकास हैतु की गई है।
उत्तराखण्ड विघुत नियामक आयोग-विद्युत दरों एवं व्यवसाय के नियमन हेतु बनाई गई है
पावरग्रीड कार्पोरेशन-इसकी स्थापना पावरग्रीड के संचालन हेतु किया गया है।
प्रमुख परियोजनाएं
1.ग्लोगी जल विघुत परियोजनाएं
2.टिहरी परियोजना
3.विष्णु प्रयाग जल विघुत परियोजना
4.घौलीगंगा फेज-1 परियोजना
5.मनेरी भाली परियोजना
6.श्रीनगर जल विधुत परियोजना
7.पाला मनेरी परियोजना
8.किशो बांध परियोजना
9.उत्यासू बांध परियोजना
10.लोहारीनाग पाला परियोजना
11.कोटलीभेल परियोजना
12.पंचेश्वर बांध परियोजना
राज्य के सबसे उंचे 5 बांध
1.कालागड रामगंगा नदी पर 126 मी
2.कोठार कोसी नदी पर 155 मी
3.किशो टौंस नदी पर 253 मी
4.टिहरी भागीरथी नदी पर 260 मी
5.लखवाड यमुना नदी पर 192 मी
रन ऑफ द रीवर तकनीक
वर्तमान में प्र्रायः इस प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक से नदियां प्राकृतिक मार्ग के बजाए सुरंग के जरिए अपना रास्ता तय करती हैं।
इस तकनीक के प्रयोग से पर्यावरणीय समस्याओं की कमी व विस्थापन की समस्या का भी हल हो जाता है।
विधुत के पसार हेतु उत्तराखण्ड सरकार द्वारा चलाई गई प्रमुख योजनाएं
1.राजीव गांधी ग्रामीण विधुतीकरण योजना
2.कुटीर ज्योति योजना
3.उर्जा पार्क
4.माक्रोहाइडिल परियोजनाएं
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